चतरा लोकसभा: बड़े घराने के दो भोगता बंधु आमने-सामने, चुनाव में दोनों की प्रतिष्ठा लगी दांव पर

एक ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की कर दी घोषणा, एक भाई भाजपा प्रत्याशी की जीत के लिए दिन-रात बहा रहे हैं पसीना

चतरा: लोकतंत्र का महापर्व आम चुनाव में इस बार चतरा लोकसभा में कई उलट फेर देखने को मिल रहा है। यहां सियासी खींचतान पूरे शबाब पर है। ऐसे में राजनीतिक दलों में भी छिंटाकशी व नूरा कुश्ती का खेल जारी है। इस बार एक ही परिवार के दो भाई चुनाव में आमने-सामने हो गए हैं और इसे अपनी प्रतिष्ठा को जोड़कर देख रहे हैं। ये भाई कोई साधारण परिवार से नहीं है बल्कि चतरा के राजनीति में दिग्गज रहे परिवार से आते हैं और दोनों भाई जो कभी एक ही दल में थे। आज दोनों की राहें हैं जुदा है। एक ने लोकसभा चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। वहीं दूसरे ने भाजपा प्रत्याशी को जीताने के लिए दिन रात पसीना बहा रहे हैं। सिमरिया और चतरा से दो बार विधायक रहे भाजपा के एससी मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयप्रकाश सिंह भोक्ता और उनके चचेरे भाई रामदेव सिंह भोक्ता जो वर्तमान में भाजपा के जिलाध्यक्ष हैं। कुछ दिनों तक एक साथ मंच साझा करते थे।

आज दोनों की राहें अलग है। दोनों के राजनीतिक गुरू चतरा के दिवंगत विधायक व जयप्रकाश के पिता स्व महेंद्र सिंह भोक्ता रहे हैं। महेंद्र सिंह दोनों को साइकिल में बैठा कर स्कूल पहुंचाते थे और राजनीति के गुर सिखाते थे। उनके आकस्मिक निधन के बाद दोनों भाई भोक्ता गंझु व खैरवार समाज के नेता के रूप में उभरे व सक्रिय राजनीति में आये। दोनों बंधुओं ने चतरा की राजनीति में बड़े कद मंत्री सत्यानंद भोक्ता के धुर विरोधी रहे। सिमरिया विस चुनाव में 2009 में दोनों बंधुओं ने सत्यानंद भोक्ता को मात देकर जयप्रकाश पहली बार विधायक बने। उस समय जयप्रकाश की नजदीकियां पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल से बढ़ी और जेवीएम के टिकट पर चुनाव जीते। कार्यकाल के अंतिम समय में जयप्रकाश जेवीएम से भाजपा में चले गए और 2014 में चतरा से बीजेपी के टिकट पर विधायक बने। उनके जीत में उनका भाई रामदेव ने भी जीतोड़ मेहनत की। सत्यानंद भोक्ता रिश्तेदार रहने के बावजूद रामदेव जयप्रकाश के जीत की कड़ी बने। हाल के वर्षों में रामदेव सिंह भोक्ता बाबूलाल मरांडी के नजदीक आए और उन्होंने चतरा विधानसभा का चुनाव 2019 में लड़ा। जिसमें उन्हें तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। इधर बाबूलाल मरांडी का भाजपा में वापसी हुई और उनका कद बढ़ा तो रामदेव सिंह भोक्ता भी जेवीएम से भाजपा में आए और वर्तमान में भाजपा के जिला अध्यक्ष हैं। इधर चतरा लोकसभा चुनाव में दोनों भोक्ता बंधुओं की सक्रियता और खींचतान की जमकर चर्चा हो रही है। पूर्व विधायक जयप्रकाश भोक्ता ने भी स्वीकारा है कि रामदेव उनके बड़े भाई हैं। परन्तु राजनीति में सभी के द्वार खुले हैं। सभी के विचारधारा अलग है।

जीतेंद्र तिवारी की रिपोर्ट

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