कला, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य की त्रिवेणी है मां भद्रकाली मंदिर

तीन धर्मों की संगम स्थली है भद्रकाली, सनातन, बौद्ध और जैन धर्म के धर्मावलंबियों की सजती है कतार

माता की दिव्य सौंदर्य वाली प्रतिमा श्रद्धालुओं और पर्यटकों को करती है मंत्रमुग्ध

चेतन पांडेय

चतरा : गुजरे पलों को समेटे इतिहास बनता पुराने वर्ष की विदाई व न‌ए जश्न और उमंग लिए नये साल की स्वागत की शुभ बेला का समय हो और इटखोरी का नाम जुबां पर ना तैरे ऐसा हो नहीं सकता है। नए साल पर पिकनिक मनाने, घुमने व पर्यटन स्थलों में मौज मस्ती करने का ख्याल मन में आते ही मानस पटल पर ऐतिहासिक, पुरातात्विक महत्व, अध्यात्म तथा प्राकृतिक सौंदर्य की छवि के लिए देश भर में प्रसिद्ध झारखंड के चतरा जिले के इटखोरी प्रखंड स्थित प्रसिद्ध तीर्थस्थल मां भद्रकाली का नाम मन मस्तिक में आ जाती है। यहां आने वाला हर शख्स यहां के आकर्षण में बंध जाता है। धार्मिक पर्यटकों व सैलानियों को तो यहां का सौंदर्य खूब भाता है। पूजा-पाठ से लेकर नववर्ष का जश्न मनाने भी दूर-दूर से पर्यटक यहां आते हैं। वर्ष की जश्न मनाने को लेकर इस वर्ष भी बड़ी संख्या में सैलानियों के यहां पहुंचने की पूरी संभावना है। लिहाजा इसकी तैयारी प्रबंधन समिति की ओर से प्रारंभिक भी कर दी गई है। तीन धर्मों का संगम स्थली इटखोरी में सनातन, जैन एवं बौद्ध धर्म के धर्मावलंबी सालों भर पहुंचते रहते हैं। वैसे यहां हर रोज सैलानियों और श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है। परंतु नववर्ष पर यहां का नजारा ही कुछ और होता है। मंदिर परिसर में मेले जैसा नजारा यहां पहुंचने वाले आगंतुकों के मन मिजाज को जवां कर देता है। भक्त मां भद्रकाली मंदिर समेत इस परिसर में अवस्थित अपने अन्य आराध्य देवी-देवताओं के मंदिरों में शीश नवाकर नए साल का स्वागत करते हैं।

प्रकृति के साथ प्राचीन काल की सभ्यता से सजी है इटखोरी

जिले के इटखोरी प्रखंड को प्राकृति के साथ-साथ प्राचीनकाल की सभ्यता ने काफी सलीके से सजाया है। यहां विकास के लिए बनाई गई संरचनाएं भी यहां आने वाले आगंतुकों को विशेष आकर्षित करती है। वैसे तो यहां कई पिकनिक स्पॉट के क‌ई नामचीन स्थल हैं लेकिन प्रसिद्ध तीर्थस्थल मां भद्रकाली मंदिर, पुण्य दायिनी महाने नदी, कोटेश्वर महादेव, सहस्त्र शिवलिंगम, समेत पूरे मां भद्रकाली मंदिर परिसर, बक्सा डैम और हदहदवा जलप्रपात सैलानियों को खूब आकर्षित करती है। मां भद्रकाली मंदिर परिसर में अवस्थित प्राचीन काल की प्रतिमाएं तथा इस पावन धरती का अध्यात्मिक महत्व भक्तों को बरबस खींचकर यहां लाता है।

बक्सा डैम भी बना खास, विदेशी पक्षियों का कलरव मोह लेता है मन

प्रखंड मुख्यालय से तीन किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित बक्सा डैम भी यहां का एक आकर्षक पिकनिक स्पॉट है। डैम में भरा लबालब पानी तथा जलाशय के चारों ओर फैली हरियाली लोगों को खूब भाती है। यहां पहुंचने वाले विदेशी पक्षियों का कलरव लोगों का मन मोह लेते हैं। हाला के यहां पहुंचने वाले सैलानियों के लिए अभी कोई सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। लेकिन पर्यटन विभाग अगर सैलानियों के लिए यहां रेस्टोरेंट व नौका बिहार आदि की सहूलियत प्रदान करे तो यह जलाशय पर्यटकों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बन सकता है। बल्कि इटखोरी के विकास में चार चांद भी लगेगा। बहरहाल नव वर्ष पर यहां भी काफी संख्या में लोग पहुंचकर पिकनिक का आनंद लेते हैं।

पुण्यदायिनी महाने नदी में लगती है आस्था की डुबकी

भद्रकाली मंदिर परिसर के दक्षिणी- पश्चिमी तट पर स्थित महाने नदी में नव वर्ष पर आस्था की डुबकी लगती है। हजारों श्रद्धालु यहां स्नान-ध्यान कर दान पुण्य करते हैं और नववर्ष मे में मंगलमय जीवन की कामना करते हैं। महाने को पुण्य दायिनी और मोक्षदायिनी माना जाता है। यही कारण रहा है कि लोग यहां धर्म-कर्म के साथ अस्थि विसर्जन के लिए भी पहुंचते हैं। नव वर्ष पर नदी के दोनों तटों पर पिकनिक मनाने वालों की भारी भीड़ उमड़ती है।

नव वर्ष पर हदहदवा में जलक्रीड़ा के लिए पहुंचते हैं सैलानी

यहां हदहदवा जलप्रपात भी पिकनिक के लिए काफी मशहूर है। बड़ी-बड़ी चट्टानों से टकराकर हद-हद की आवाज में बहता पानी पिकनिक मनाने के लिए आने वाले लोगों को अपनी ओर बरबस खींचता है। लोग जलक्रीड़ा के साथ नववर्ष पर यहां पिकनिक का भी खूब आनंद उठाते हैं।

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