चतरा (संतन कुमार): सरस्वती पूजा महोत्सव को लेकर यहां का नजारा बदला हुआ है। चहूंओर भक्ति और श्रद्धा का माहौल है। गांव-गांव में तोरण द्वार लगाए गए हैं। पूजा पंडालों से भक्ति के गीत गूंज रहे हैं। यह नजारा झारखंड के पत्थलगड़ा ब्लॉक का है। यहां सरस्वती पूजा महोत्सव का रूप ले लिया है। फरवरी 2013 में पूजा के दौरान हुए दंगे के बाद से यहां का पूजा पूरे सूबे में चर्चा में आ गया है। इस बार सरस्वती पूजा महोत्सव को लेकर पत्थलगडा में सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली गई है। पत्थलगडा में 200 स्थानों में मां शारदे की विधिवत पूजा अर्चना की जाएगी।

पूजा के शांतिपूर्ण आयोजन को लेकर यहां पुलिस बल एवं दंडाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई है। बीडीओ कलिंदर साहू, सीओ उदल राम और थाना प्रभारी आलोक रंजन चौधरी दल बल के साथ पूजा पंडालों का निरीक्षण कर सभी समितियों से विधि व्यवस्था बनाये रखने की अपील की है। पूजा को दौरान सिमरिया एसडीओ के निर्देश पर क्षेत्र में भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। आज शैक्षणिक संस्थानों समेत क्लबों व समितियों के सदस्यों की ओर से पूजा की तैयारी में दिनभर लगे रहे। पंडालों से भक्ति गीत के स्वर गूंज रहे हैं। इस बार कई स्थानों में भव्य व आकर्षक पूजा पंडाल बनाये गयें हैं। सरस्वती संगम क्लब तेतरिया की ओर से जम्मू कश्मीर के प्रसिद्ध वैष्णो देवी मंदिर के तर्ज पर 81 फीट उंचाई का पूजा पंडाल का निर्माण कार्य कराया गया है। पहाड़ी पर मां शारदे की प्रतिमा स्थापित की गई है। पूजा पंडाल दूर से ही लोगों को आकर्षित कर रही है। स्मृति क्लब लेंबोईया की ओर से थीम आधारित पूजा पंडाल आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। सिंघानी चौक में पहाड़ व झरना के थीम पर पंडाल बनाया गया है। यहां कई स्थानों में पूजा हो रहा है पत्थलगडा, नोनगांव, बरवाडीह, चौथा, दुंबी, नावाडीह, बंदरचुंआ व अन्य स्थानों में भव्य पूजा पंडाल बनाए गए हैं। शैक्षणिक संस्थानों में भी इस बार पूजा को यादगार बनाने के लिए व्यापक तैयारी की गई है। यहां सरस्वती पूजा शैक्षणिक संस्थानों में दो दिनों के लिए और समितियां के द्वारा तीन दिनों तक मनाई जाती है। पत्थलगडा के चर्चित मूर्तिकार महेंद्र प्रजापति और उनकी पत्नी सुनीता देवी के द्वारा कई आकर्षक मां शारदे की प्रतिमाएं बनाई गई है। उनके द्वारा बनाई गई प्रतिमाएं चतरा और हजारीबाग जिले के कई प्रखंडों में जाती है। ये पिछले कई माह से पूजा की तैयारी में जुटे हुए हैं। उन्होंने बताया कि अब कई समितियां के द्वारा मां शारदे के विभिन्न स्वरूपों की प्रतिमाओं का डिमांड रहता है। वे कोलकाता से सामान की खरीदारी कर प्रतिमाओं को अंतिम रूप दे रहे हैं। फरवरी 2013 में सरस्वती पूजा के दौरान सिंघानी गांव में दंगा के बाद कर्फ्यू लग गई थी। इस दौरान गांव के एक युवक उमेश दांगी की गोली लगने से मौत हो गई थी। कई दिनों तक कर्फ्यू रहने के बाद स्थिति सामान्य हुआ था। उसके बाद से लेकर अब तक जिला प्रशासन की ओर से यहां शांतिपूर्ण आयोजन और विधि व्यवस्था को लेकर दंडाधिकारियों और पुलिस बल की तैनाती की जाती है। इस बार भी शांतिपूर्ण आयोजन को लेकर प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं। शांति समिति की बैठक में थाना प्रभारी ने सभी समितियां और आम लोगों से अफवाहों पर ध्यान नहीं देने और सरकारी दिशा निर्देशों के अनुरूप सरस्वती पूजा मनाने की अपील की है।