सचिव और डीजीपी ने चतरा में की समीक्षा बैठक, दिये कई दिशा निर्देश

रांची/चतरा: गृह सचिव वंदना डादेल और डीजीपी अनुराग गुप्ता ने संयुक्त रूप से चतरा जिले में अवैध अफीम की खेती पर रोक लगाने के लिए मंगलवार को एक समीक्षा बैठक की। इस दौरान कई बिन्दुओं पर विमर्श किया गया और कई दिशा निर्देश दिये गये। समीक्षा बैठक के दौरान डीजीपी ने कहा की रांची, चतरा, हजारीबाग और लातेहार समेत कई जिलों में हाल ही के दिनों में स्प्लिंटर्स ग्रुप के जरिये आगजनी की घटना को अंजाम दिया गया।

इस पर लगाम लगाना अति आवश्यक है, परंतु यह देखा जा रहा है कि आगजनी जिस क्षेत्र में होती है उससे संबंधित थाना प्रभारी के जरिये सिर्फ अज्ञात के खिलाफ कांड दर्ज कर अनुसंधान समाप्त कर दिया जाता है, अगर भविष्य में किसी थाना क्षेत्र में उक्त रिप्लंटर ग्रुप के जरिये आगजनी की घटना कार्य की जाती है तो संबंधित थाना प्रभारी और इंस्पेक्टर के विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए संबंधित डीएसपी और एसपी से भी स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। डीजीपी ने कहा कि अवैध अफीम की खेती की रोकने के लिए पुलिस और वन विभाग के पदाधिकारी और कर्मियों के बीच आपसी समन्वय स्थापित किया जाए और आवश्यकता अनुसार कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए। अफीम की खेती सुदूरवर्ती क्षेत्रों और वन भूमि में की जाती है, इसलिए वन पदाधिकारियों का सहयोग अपेक्षित है। एसपी चतरा, हजारीबाग, रांची और लातेहार ये जिले अफीम की खेती को लेकर काफी बुरी तरह से प्रभावित है। इन जिलों में अवैध अफीम की खेती की पूर्ण रोकथाम के लिए सभी आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। डीजीपी ने कहा कि अक्सर यह देखा गया है कि जिन भूमि में अफीम की खेती की जाती है, उसे विनष्टिकरण के बाद थाना में सनहा दर्ज किया जाता है, जो उचित नहीं है। जो भी भूमि पर अवैध अफीम की खेती का विनष्टिकरण किया जाता है, तो उसके बाद निश्चित रूप से प्राथमिकी दर्ज की जाना सुनिश्चित किया जाए। विशेष शाखा से प्राप्त सूचना पर यदि कोई थाना प्रभारी वांछित कार्रवाई नहीं करते हैं तो उनके विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

डीजीपी ने कहा कि एसपी चतरा, हजारीबाग, लातेहार और एसपी ग्रामीण रांची नेशनल हाईवे पर स्थित होटल और ढाबों की नियमित रूप से जांच करना सुनिश्चित करेंगे ताकि होटल एवं ढाबे अवैध अफीम, ब्राउन शुगर आदि जैसे जहरीले पदार्थ का खरीद बिक्री तो नहीं कर रहे हैं। इसका पता चल सके। साथ ही अगर किसी तरह का साक्ष्य मिलता है तो सरगना के संबंध में जानकारी एकत्रित करना सुनिश्चित करेंगे। डीजीपी ने कहा की एनडीपीएस से संबंधित कांडो में यह भी देखा जा रहा है कि ट्रक या अन्य वाहन के चालक और खलासी को अभियुक्त बनाकर जेल भेज दिया जाता है और कांड में आरोप पत्र समर्पित कर कांड के अनुसंधान को समाप्त कर दिया जाता है, जबकि उसे वहां उसे जब्त वहां के मलिक का सत्यापन कभी नहीं किया जाता है। इस संबंध में वहां के मलिक का निश्चित रूप से जानकारी प्राप्त करते हुए साक्ष्य के अनुसार उनके विरुद्ध भी एनडीपीएस की धाराओं में कार्रवाई करना सुनिश्चित किया जाए। इस बैठक में अपर प्रधान सचिव शशि रंजन, आईजी अभियान अमोल वेणुकान्त होमकर, डीआईजी सुनील भाष्कर, एसपी अरविंद कुमार सिंह, एसपी एटीएस ऋषभ झा, सहित वरीय अधिकारी एवं पुलिस पदाधिकारी शामिल थे।

  • हिन्दुस्थान समाचार
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