चतरा (जीतेंद्र तिवारी/संतन कुमार):
देर से आना जल्दी जाना ये मास्टर साहब ई ठीक नहीं … जी हां! ये बोल हैं झारखंड के एक प्रशासनिक अधिकारी की। जब ये दूसरी बार विद्यालय जांच में पहुंचे तो बराबर गायब रहने वाले शिक्षकों की पोल खुल गई। यह मामला झारखंड के चतरा जिले का है। जांच में पता चला कि यहां विभाग की नहीं शिक्षकों की मनमर्जी चलती है।

चतरा जिले के पत्थलगडा प्रखंड के मेराल पंचायत में सरकारी विद्यालयों की स्थिति ठीक नहीं है। यहां विद्यालय कब खुलते हैं और कब बंद होते हैं यह अधिकारियों को भी जानकारी नहीं है। यहां सरकारी विद्यालय सरकार के निर्देशानुसार नहीं बल्कि शिक्षकों की मनमर्जी से चलते है। इसका ताजा उदाहरण पत्थलगडा प्रखंड के सुदूरवर्ती उत्क्रमित उच्च विद्यालय मेराल में देखने को मिला। शनिवार को प्रखंड विकास पदाधिकारी कालिंदर साहू व अंचलाधिकारी उदल राम ने मेराल पंचायत के कई सरकारी विद्यालयों व आंगनबाड़ी केंद्रों का औचक निरीक्षण किया। बीडीओ व सीओ के निरीक्षण के दौरान उत्क्रमित उच्च विद्यालय मेराल बंद मिला। दोनों अधिकारी शनिवार को 9:30 बजे उत्क्रमित उच्च विद्यालय मेराल पहुंचे तो मेराल स्कूल में ताला लटका हुआ था। कई बच्चे बाहर खेल रहे थे। वहीं मध्य विद्यालय में मात्र दो ही शिक्षक राकेश कुमार और दिनेश्वर दांगी ही उपस्थित थे। अन्य शिक्षक गायब थे। बीडीओ ने बताया कि यहां ब्रह्मदेव नारायण कुशवाहा, आदर्श कुमार, कलजीत दांगी, अखिलेश कुमार सुमन और वीरेंद्र महतो कार्यरत हैं। फिलहाल बीरेंद्र महतो नावाडीह स्कूल में प्रतिनियोजन पर हैं। गायब रहने व विद्यालय नहीं खोलने पर उन्होंने विद्यालय के शिक्षकों पर नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि उत्क्रमित उच्च विद्यालय मेराल में नियमित पढ़ाई नहीं होती है। पद स्थापित शिक्षक अक्सर गायब रहते हैं। विद्यालय के बच्चों को नियमित मध्यान भोजन भी नहीं मिलता है। यहां विद्यालय सरकार के निर्देश पर नहीं बल्कि यहां के शिक्षकों की मनमर्जी से चलता है। विद्यालय में भर्ती जा रहे हैं अनियमिताओं के विरोध स्थानीय ग्रामीणों ने कई बार पहले भी शिकायत की थी। इस मौके पर बीडीओ ने कहा कि विद्यालय से बराबर शिक्षकों के गायब रहने की सूचना मिली थी। सूचना के बाद में मेराल हाई स्कूल पहुंचे। शिक्षकों के गायब रहने पर उन्होंने नाराजगी व्यक्त की और इसकी जानकारी वरीय अधिकारियों को देने का निर्णय लिया।