मकर संक्रांति पर विशेष
इस बार 15 जनवरी को मनेगा मकर संक्रांति, बनेगा शुभ संयोग
संक्रांति, तिल और सोमवार का बन रहा खास संयोग
15 जनवरी को सुबह 9:13 बजे भगवान भास्कर मकर राशि में करेंगे प्रवेश, दिन भर रहेगा पुण्य काल : आचार्य चेतन पाण्डेय
चेतन पाण्डेय
चतरा : स्नान दान का महापर्व मकर संक्रांति इस बार 15 जनवरी को मनाया जाएगा। इसी दिन भगवान सूर्यनारायण गुरू की राशि धनु राशि से निकलकर शनि की राशि मकर में प्रवेश करेंगे। इसी के साथ भगवान् भाष्कर दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाएंगे। मकर स्नान के बाद सभी प्रकार के धार्मिक और मांगलिक आयोजन भी प्रारंभ हो जाएंगे। जन्मकुंडली, वास्तु व कर्मकांड परामर्श के विशेषज्ञ आचार्य पं. चेतन पाण्डेय ने बताया कि इस बार मकर संक्रांति पर कई विशेष संयोग बन रहे हैं। इस दिन स्नान दान का विशेष लाभ मिलता है। बनारस के प्रसिद्ध हृषीकेश पंचांग के अनुसार भगवान् सूर्यनारायण 15 जनवरी की सुबह 9:13 बजे धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे।लिहाजा इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाया जाएगा।मकर संक्रांति पर इस बार सोमवार का खास संयोग बन रहा है। यह बेहद लाभकारी माना गया है। मकर संक्रांति के दिन इस बार षष्ठी तिथि और सूर्य संक्रांति का संयोग खास माना जा रहा है। यह योग कई लोगों के लिए भाग्य का उदय लेकर आएगा। शास्त्रों के अनुसार सोमवार के दिन तिल का सेवन और दान करने से कई प्रकार के अभीष्ट फल मिलते हैं। हालांकि इस बार मकर संक्रांति के दिन सोमवार पड़ जाने के कारण खिचड़ी (पोंगल )का पर्व एक दिन बाद 16 जनवरी को मनाया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार सोमवार को तिल का दान और सेवन काफी लाभप्रद होता है। आचार्य ने बताया कि जिन जातकों के जन्म कुंडली में अभी चंद्रमा की महादशा चल रहा है या जन्म कुंडली में चंद्रमा कमजोर है उनके लिए इस बार मकर संक्रांति का दिन खास होगा। इस दिन स्नान ध्यान के साथ तिल का दान और सेवन काफी लाभप्रद माना गया है।
देवताओं की प्रभात बेला है उत्तरायण
भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश के साथ ही वे दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाएंगे। इनके उत्तरायण होने से देवताओं का दिन प्रारंभ होगा और सनातन धर्मावलंबियों का मांगलिक एवं शुभ कार्य प्रारंभ हो जाएंगे। पुत्र के पूत्र रखने वालों को इस दिन तिल व गाय का दान अनिवार्य रूप से चाहिए। मकर संक्रांति के दिन इस बार परिघ नाम का योग पड़ रहा है। यह योग खासकर महिलाओं के भाग्य उदय का संयोग बना रहा है। वहीं संक्रान्ति काल के समय चंद्रमा कुम्भ राशि में विराजमान रहेंगे। कुम्भ राशि का चंद्र और मकर राशि का सूर्य की युति विद्यार्थी वर्ग के लिए अपार सफलता अर्जित कराने वाला योग माना गया है।
उत्तरायण का है विशेष महत्व
श्रीमद्भागवत् गीता में उत्तरायण का महत्व विस्तृत रूप से वर्णित है। गीता में कहा गया है कि उत्तरायण काल में मृत्यु होने से मानव श्रीकृष्ण के परम धाम को प्राप्त करते हैं और वह जन्म मृत्यु से मुक्त हो जाते हैं। जबकि अन्य काल में प्राण त्यागने वाले मनुष्य को दोबारा जन्म लेना पड़ता है। यही कारण है कि महाभारत में अर्जुन के बाणों की शैया पर 40 दिन रहने के बाद भीष्म पितामह ने उत्तरायण को ही अपना प्राण त्याग था।