बिना सरकार के झारखंड में चल रहा है शासन-प्रशासन, राज्यपाल ने फंसाया पेंच

देश के इतिहास में पहली घटना झारखंड की होगी जहां पर पिछले 22 घंटे से कोई सरकार नहीं है। रांची में कथित सेना की जमीन घोटाला मामले में जब ईडी ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया और इसके तुरंत बाद मुख्यमंत्री पद से जब उन्होंने इस्तीफा दिया तो गवर्नर सीपी राधा कृष्णन ने उन्हें यह नहीं कहा कि जब तक वैकल्पिक व्यवस्था नहीं कर ली जाती तब तक आप अपने पद पर बने रहेंगे। अब निवर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन न्यायिक हिरासत में है। मुख्य मंत्री पद से इस्तीफा देने के साथ श्री सोरेन ने झामुमो और सभी सहयोगी दल के विधायकों का हस्ताक्षर की प्रति राज्यपाल को सौंपते हुए चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता चुनकर उन्हें सरकार बनाने के लिए न्योता देने का आग्रह किया लेकिन 22 घंटा बीत जाने के बाद भी सरकार बनाने के लिए आमंत्रित नहीं किया। बिहार में नीतीश कुमार जब मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते हैं और उसी बख्त भाजपा, जेडीयू और हम के विधायकों के समर्थन की सूची सौंपते है। चटपट उनका त्यागपत्र स्वीकार कर लिया जाता है और उन्हें सरकार बनाने के लिए उसी दिन आमंत्रित भी कर दिया जाता है। नीतीश कुमार अपने 8 अन्य सहयोगी विधायको के साथ मंत्री पद का शपथ भी लिया था। भ्रष्टाचार के बहाने झारखंड में सत्ता का खेल चल रहा है और गवर्नर की संवैधानिक भूमिका भी संदेह के घेरे में है और झारखंड में संवैधानिक संकट उत्पन्न हो गया है। गवर्नर के पास यह अधिकार नहीं है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हुए बगैर शासन सत्ता को नियंत्रित करें और राष्ट्रपति शासन तभी लग सकता है जब गवर्नर राज्य के हालात पर गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेजें और उसपर गृह मंत्रालय का अनुमोदन प्राप्त हो। जब सरकार बनाने के आंकड़े किसी भी राजनीतिक दल के पास नहीं हो तब भी गवर्नर राष्ट्रपति शासन लगाने का प्रस्ताव गृह मंत्रालय के पास भेज सकते हैं लेकिन झारखंड में ऐसी स्थिति नहीं है। हेमंत सोरेन ने जैसे ही त्यागपत्र दिया तो उन्होंने चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता चुनते हुए सरकार बनाने की जादुई आंकड़े भी पेश किए। फिर भी उन्हें सरकार बनाने का न्योता नहीं मिला है।

पत्रकार उमेश प्रताप के कलम से …

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