रांची। हाइकोर्ट ने चतरा स्थित प्रसिद्ध इटखोरी मंदिर की वित्तीय शक्तियों के इस्तेमाल के लिए वहां के डीसी को अधिकृत किया है। मंदिर समिति की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए धार्मिक न्यास बोर्ड द्वारा नयी कमिटी की शक्तियों पर भी रोक लगा दी है। हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस डॉ एस एन पाठक की कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई। दरअसल इटखोरी मंदिर की पुरानी समिति को भंग कर धार्मिक न्यास बोर्ड ने नयी कमिटी का गठन किया है। जिसमें अलग-अलग राजनीतिक दल के लोग भी शामिल हैं। पुरानी कमिटी पांच दशक से ज्यादा समय से सक्रिय थी। हाईकोर्ट ने कहा है कि जब तक मामला निष्पादित नहीं होगा, तब तक मंदिर की वित्तीय शक्तियों का अधिकार जिले के डीसी के पास रहेगा।
झारखंड के चतरा जिले के कुंदा प्रखंड मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित चुनहेट झरना अद्भुत आभा समेटे इस जगह की ओर न तो जिला प्रशासन व प्रतिनिधियों की नजर इस ओर है फिर भी दूरदराज से आने वाले सैलानियों व ग्रामीण इस प्राकृतिक बनावट को देखकर ताज्जुब व्यक्त करते हैं। चुनहेट झरना जहां मधुमक्खियों के भिन्न-भिन्न आहट व शहद की मीठी मीठी सुगंध वादियों की गूंजती व पक्षियों की चहचहाहट एक अलग ही अनुभूति देता है।प्राकृतिक छटा को बिखेरने वाली पहाड़ के तराईयों से ऊंची पहाड़ियों से गिरती झरना लोगों को काफी लुभाती है। बुजुर्ग लोगों का मानना है कि यहां राजाओं के इशारों पर अतिक्रमणकारियों से युद्ध में मधुमक्खियां सहयोग करती थी। प्राकृतिक वादियों की सौंदर्य छटा बिखेरती है तह बाई तह पहाड़ की तराईयों से गिरती झरना एक अलग ही परिदृश्य देखने में लगता है। पिकनिक स्पॉट में भी विख्यात है नये साल में लोग यहां पहाड़ से गिरती झरना और विशाल मधुमक्खियों के छत्ते एवं विशाल दीवार सैलानियों को खूब लुभाती है।
चुनहेट नाम कैसे पड़ा
बुजुर्ग लोगों का मानना है कि यहां चुना का खान है जिसे उपयोग किया जा सकता है लेकिन विकसित नहीं होने के कारण बेकार पड़ा हुआ है।
कैसे पहुंचे चुनहेट झरना
ऐतिहासिक स्थल महादेव मठ से 5 किलोमीटर नदियों के किनारे किनारे व मुख्य पथ वन कार्यालय से थोड़ी दुरी से जंगल की ओर जाने वाली पगडंडी से कमाल गाँव होते हुए जंगलों से गुजरते हुए चुनहेट पहुंच सकते हैं।