कुंदा महादेव मठ परिसर में खुदाई में मिली 500 साल प्राचीन नंदी की प्रतिमा
चेतन | चतरा: झारखंड के चतरा जिले के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल कुंदा स्थित महादेव मठ परिसर से खुदाई के दौरान एक प्राचीन प्रतिमा मिली है। भगवान नंदी की खंडित प्रतिमा जानकी दास बाबा समाधि स्थल के समीप मिली है। प्रतिमा 500 साल प्राचीन बताई जा रही है। इसकी पुष्टि एएसआई रांची सर्किल समेत वरीय पुरातत्वविदों ने भी है।
भगवान नंदी की प्राचीन प्रतिमा मिलने से आसपास के लोग उत्साहित हैं और प्रतिमा की पूजा अर्चना भी कर रहे हैं। नंदी की प्रतिमा भारी भरकम है और सैंड स्टोन से बना हुआ है। दो फीट से अधिक की लंबाई वाले प्रतिमा का सर कटा हुआ है। यह प्रतिमा प्राचीन महादेव मठ मंदिर परिसर में ही मिला है। नंदी की प्राचीन प्रतिमा मिलने से लोगों में हर्ष है।
दरअसल कुंदा किला के पूर्वी भाग में एक पहाड़ी नुमा स्थान में एकल पत्थर को काटकर गुफा नुमा मंदिर बना हुआ है। मुख्य मंदिर के दाहिनी ओर 20-25 फिट के आसपास निर्माण के दौरान किए जा रहे खुदाई में जमीन के नीचे से प्रतिमा मिली है। पयर्टन विभाग और डीएमएफटी मद से यहां पुलिया और पेवरब्लॉक बिछाने का काम चल रहा है। जेसीबी से बुनियाद खुदाई किया जा रहा था। इसी दौरान एक वजनी प्रतिमा निकली। इसे बाहर निकाला गया और सफाई की गई तो नंदी की प्रतिमा निकली।
भारतीय पुरातत्व विभाग रांची सर्किल के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ राजेंद्र देहुरी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि प्रतिमा प्राचीन है। यह खंडित प्रतिमा नंदी की है।
इस स्थान का दौरा कर चुके राज्य के वरिष्ठ पुरातत्वविद व कला संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के पूर्व निदेशक डॉ हरेंद्र सिंह ने कहा कि कुंदा किला के समीप एक मोनोलिथ रॉक कट टेंपल है। जो अजूबा है। एकाश्म पत्थर को काटकर व तराशकर कर प्राचीन शिव मंदिर बनाई गई है। ऐसा ही मंदिर हजारीबाग जिले के बड़का गांव थाना क्षेत्र के महुदी पहाड़ी में है। वहां मिले शिलालेख से मंदिर 14वीं शताब्दी की बताई जाती है। इसी कालखंड की कुंदा किला के समीप महादेव मठ मंदिर भी है। उन्होंने बताया कि संभावत: यह प्राचीन नंदी इसी मंदिर का हिस्सा होगा।
कुंदा किला और महादेव मठ का इतिहास: कुंदा किला का निर्माण 14वीं शताब्दी में चेरों राजाओं के द्वारा किया गया था। उन्हीं के द्वारा महादेव मठ मंदिर का भी निर्माण किया गया है। ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार औरंगजेब के शासनकाल में 1660 ईस्वी में मुगल सूबेदार दाऊद खान कुंदा किले पर आक्रमण किया था और 6 महीने के युद्ध में कुंदा किला को फतह कर लिया था।
उसके बाद 1734 में अलीवर्दी खान ने कुंदा किला को पूरी तरह से नष्ट कर दिया था। इसी के दौरान नंदी की प्रतिमा भी खंडित हो गई होगी और उसके बाद प्रतिमा नहीं दिखाई दी। अब खुदाई के बाद प्रतिमा सामने आई है।