अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अब मिलेगी चतरा के मेगालिथों को पहचान
पत्थलगडा पहुंचे इंग्लैंड के प्रसिद्ध लेखक डॉ ह्यू न्यूमैन, ओबरा टीला का किया अवलोकन
झारखंड के चर्चित मेगालिथ शोधकर्ता शुभाशीष दास व ब्रिटिश वैज्ञानिक ने मेगालिथ साइट का किया निरीक्षण
इंग्लैंड और झारखंड के पकरी बरवाडीह और ओबरा में मिले मेगालिथ में है काफी समानता
जीतेंद्र तिवारी/चेतन पांडेय
चतरा : अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पत्थलगडा के प्राचीन मेगालिथों को पहचान मिलेगी। इंग्लैंड के लेखक और शोधकर्ता डॉ ह्यू न्यूमैन शुक्रवार को चतरा जिले के पत्थलगडा पहुंचे। झारखंड के चर्चित मेगालिथ शोधकर्ता सुभाशीष दास के साथ ओबरा में मेगालिथ स्थल पर पहुंचे और यहां फैले मेगालिथ स्थलों का निरीक्षण किया। ह्यू न्यूमैन इंग्लैंड के मशहूर लेखक और शोधकर्ता हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वे मेगालिथिक सभ्यता पर शोध कर रहे हैं। साथ ही मेघालिथोमेनिया संगठन के सीईओ भी हैं। झारखंड के मेगालिथिक इतिहास व अन्य गतिविधियों की जानकारी के लिए वे इंग्लैंड से झारखंड पहुंचे हैं। चतरा जिले के ओबरा मेगालिथ स्थल पर पहुंचकर उन्होंने आसपास के मेगालिथ व अन्य प्राचीन अवशेषों का निरीक्षण किया।
इस क्रम में उन्होंने कहा कि ओबरा मेगालिथ स्थल बहुत ही रोमांचकारी है। यहां पहुंचकर वे काफी आश्चर्यचकित हैं। यह स्थल काफी प्राचीन और प्राचीन सभ्यता से जुड़ा हुआ है। इंग्लैंड और झारखंड के पकरी बरवाडीह और ओबरा में मिले मेगालिथ में काफी समानता है। ऐसा मेगालिथ इंग्लैंड में भी देखे गए हैं। यहां पहुंचकर वे काफी प्रसन्न है। उन्होंने कहा कि ऐसे स्थान की खोज होने से क्षेत्र की पहचान बढ़ेगी और प्राचीन इतिहास से लोग रूबरू होंगे। इसी स्थल पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने पिछले वर्ष खुदाई की थी और खुदाई के क्रम में यहां कई प्राचीन कलाकृतियों और प्राचीन रहन सहन के साक्ष्य मिले थे।
झारखंड में मेगालिथिक इतिहास की जानकारी के लिए एएसआई के द्वारा शोध किया जा रहा है। मेगालिथ शोधकर्ता और कई पुस्तकों के लेखक सुभाशीष दास ने कहा कि पत्थलगडा की पहचान यहां के प्राचीन मेगालिथ स्थल है। झारखंड के प्राचीन इतिहास कि अगर खोज होती है तो इस स्थल को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पत्थलगडा के ओबरा में मिले मेगालिथ ढाई हजार साल प्राचीन और ताम्र पाषाण कालीन सभ्यता के हैं। आसपास कई स्थानों में मेगालिथ गड़े हुए हैं और इस जगह में कई प्राचीन जातियां और समूह के लोगों का हरगड़ी रहा होगा।
इंग्लैंड के शोधकर्ता ह्सू न्यूमैन और सुभाषित दास ओबरा व आसपास के कई स्थानों में गड़े मेगालिथों का निरीक्षण किया और उन्होंने कहा कि इस स्थान को संरक्षित रखना समाज के लिए जरूरी है ताकि आने वाली पीढ़ी को यहां के इतिहास के बारे में जानकारी मिल सके। उन्होंने कहा कि पूरे झारखंड का यह स्थल आने वाले समय में प्रतिनिधित्व करेगा।
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